स्वतंत्र हमारा भारत है,पर सोच से नहीं, दृश्य अश्लील नही होता,दृष्टि अश्लील होती हैं, यहां पल-पल वहशी दरिंदे है, स्त्री कब तक बेआब्रू होती रहे, कब तक,!..वहशी नज़रों से वो पर्दा बेहिसाब करती है!! एक बेटी की इज्जत नहीं लुटती, लुटता सम्मान पूरे देश का हैं, कब तक मोमबत्ती जलाते रहोगे, अब बस करो, सरेआम जलाओ वो हैवान, सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है । आज का शीर्षक है : #दुष्कर्म