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एक गीत भरा है तुझमें, मैं सुर ताल बना लूंगा । तुम

एक गीत भरा है तुझमें,
मैं सुर ताल बना लूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर,
मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

देखेगा ज़माना भी क्या, मुझको आवारगी आता नहीं।
जब से देखा हूं तुझको तो, मुझको होश आया नहीं ।।
तुम जो धड़कन चुरा ली हो, मैं ये जां भी लुटा दूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

कसमें वादे वफ़ा सारी, बाते हैं बातों का क्या ।
तेरे बिन इश्क कैसा मेरा, बिन तेरे जिन्दगी का क्या।।
कितनी मिसरे पड़े मेरे, मैं एक पंक्ति बना दूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

मृगनयनी सी आंख तेरी, परियों सी सजावट है।
मस्तानी ये चाल तेरी, कुदरत की बनावट है ।।
एक एक खूबियां मैं तेरी, इस तरह दिखा दूंगा।
काग़ज़ पर लिख लिख कर, एक गीत बना दूंगा।।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

एक गीत भरा है तुझमें,
मैं सुर ताल बना लूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर,
मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज

©poetsujeet #poetsujeet #सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज #Romantic
एक गीत भरा है तुझमें,
मैं सुर ताल बना लूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर,
मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

देखेगा ज़माना भी क्या, मुझको आवारगी आता नहीं।
जब से देखा हूं तुझको तो, मुझको होश आया नहीं ।।
तुम जो धड़कन चुरा ली हो, मैं ये जां भी लुटा दूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

कसमें वादे वफ़ा सारी, बाते हैं बातों का क्या ।
तेरे बिन इश्क कैसा मेरा, बिन तेरे जिन्दगी का क्या।।
कितनी मिसरे पड़े मेरे, मैं एक पंक्ति बना दूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

मृगनयनी सी आंख तेरी, परियों सी सजावट है।
मस्तानी ये चाल तेरी, कुदरत की बनावट है ।।
एक एक खूबियां मैं तेरी, इस तरह दिखा दूंगा।
काग़ज़ पर लिख लिख कर, एक गीत बना दूंगा।।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

एक गीत भरा है तुझमें,
मैं सुर ताल बना लूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर,
मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।

#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज

©poetsujeet #poetsujeet #सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज #Romantic