क़ैद रहकर भी नित नए साँचे में ढ़लना होगा, पथ प्रेम का हो या जीवन का बदलना होगा। न्यूनता की बेड़ियों में जकड़ गया हूँ इस कदर, पराजयों से सीख लें कुछ क़दम चलना होगा। बाधाओँ की पुस्तक खोल बैठ जाए जब कोई, बता देना कि निखरने की ख़ातिर जलना होगा। अहं हो जाए जब सत्ता शरीर और सम्पत्ति का, बानगी दे लंकेश की और कहना बदलना होगा। घनी रात ओझल चाँद और हवा से लड़ता चिराग़ कुछ देर का ही है अंधेरा सूर्य को निकलना होगा। दर्शन जीवन का बस इतना सा समझ लीजिए, निरंतर गिरना होगा और स्वयं संभलना होगा। #कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #yourquotedidi #ग़ज़ल #दर्शन_ए_ज़िंदगी