कितने अजीब है 'ज़िन्दगी के ये पहलू' कभी सुखों का संसार तो कभी दुखों का भंडार कभी धूप, कभी छांव है तो कभी बारिश की बौछार कभी सूरज की लालिमा तो कभी चंद्रमा की फैली चांदनी का अंदाज़ कभी मृत्यु तो कभी मोक्ष की फ़रयाद कभी एक झूठी मुस्कान है तो कभी उठती गमों की दास्तान 'ज़िन्दगी और ये पहलू' कभी सुखों का संसार तो कभी दुखों का भंडार है कभी धूप, कभी छांव है तो कभी बारिश की बौछार है कभी सूरज की लालिमा तो कभी चंद्रमा की फैली चांदनी का अंदाज़ है कभी मृत्यु तो कभी मोक्ष की अभिलाषा है कभी एक झूठी मुस्कान है तो कभी उठती गमों की दास्तान है