कालांतर से चल रहे प्रेम के विरुद्ध युद्ध से बच कर एक किताब के दो अलग अलग पन्नों पे लिखी हुई किसी प्रेम कविताओं की तरह थे तुम और मैं दो अलग अलग भाषाओं में दो अलग कविताएं लिखें होने के बावजूद समान भाव , समान बिंदु हमें तुम्हें और इस प्रेम को परिभाषित करता हालाँकि तुम्हारे जाने के बाद भी ये अब तक ठीक वैसा ही है जैसा हमने सोच कर प्रेम का बीज बोया था और इतने तुम्हारे नफरतों के बावजूद वो बीज पूर्ण भ्रूण बन आज भी पल रहा एवं वयस्क हो रहा हमारे उन पलो में जब हम एकदूसरे के बाँहों में प्रेम कविता लिखा करते थे । प्रिय तुम्हारा जाना पूर्णतः सार्थक नहीं रहा तुम जा कर भी इस प्रेम को खत्म ना कर पाई और आखिर में तुम मेरी अर्द्धांगिनी बन ही गई । #kunalpoetry #yqdidi #restzone #yqbaba #kunu #love #kamil_kavi