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शीर्षक :- तुम पेड़ नहीं वरदान हो... तुम पेड़ न

शीर्षक  :-

तुम पेड़ नहीं वरदान हो... 
 तुम पेड़ नहीं वरदान हो ... 

जब भी बारिश होती है कुछ ना कुछ नया बनता है नया पैदा होता है जैसे हमने देखा है बरसात होते ही मेंढक ज्यादा दिखने लगते हैं मच्छरों की तादाद बढ़ जाती है जगह जगह पेड़ पौधे घास उगने लग जाती है! वैसे ही हुआ मेरे आंगन में भी एक छोटा सा पौधा उगा वह बड़ा होता रहा लगातार मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया उस पर जब भी मुझे बड़ा दिखता मैं उसको काट देता था अगर हाथ से उखाड़ने की कोशिश करता था वह जड़ से उखड़ नहीं पाता था बीच में से टूट जाता था और फिर मैं उसको नजरअंदाज करके एक तरफ फेंक दिया करता था धीरे-धीरे फिर वह बड़ा हो जाता है मैं वही करता हूं मैं थका गया पर वो ना थका और फिर मैंने उसकी तरफ ध्यान देना छोड़ दिया मैं 1 दिन उदास था फिर मैं उस पौधे के पास आया और उसके पास आकर बैठ गया उससे बात करने की कोशिश की पर वह बोला नहीं शायद नाराज था फिर भी जब मैंने उसको स्पर्श किया तो अंदर ही अंदर वो मुझे खुश लग रहा था मैंने उसको धीरे-धीरे सहलाया और आसपास की जमीन को मैंने खोदना शुरू कर दिया और उसके चारों तरफ एक हल्की सी जैसे हम अपने लिए जगह बनाते हैं बैठने के लिए इस तरह हर रोज में उसकी सेवा करने लग गया और जैसे-जैसे वह पौधा बड़ा होता गया वैसे वैसे मेरी परेशानियां खत्म होती गई और एक वक्त ऐसा आया वह पौधा मेरे घर के लिए वरदान बन गया ! मेरा घर उस खुशहाल बना और 

मैंने उसको पूजना शुरू कर दिया!

#सुशील #ग़ाफ़िल
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तुम पेड़ नहीं वरदान हो... 
 तुम पेड़ नहीं वरदान हो ... 

जब भी बारिश होती है कुछ ना कुछ नया बनता है नया पैदा होता है जैसे हमने देखा है बरसात होते ही मेंढक ज्यादा दिखने लगते हैं मच्छरों की तादाद बढ़ जाती है जगह जगह पेड़ पौधे घास उगने लग जाती है! वैसे ही हुआ मेरे आंगन में भी एक छोटा सा पौधा उगा वह बड़ा होता रहा लगातार मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया उस पर जब भी मुझे बड़ा दिखता मैं उसको काट देता था अगर हाथ से उखाड़ने की कोशिश करता था वह जड़ से उखड़ नहीं पाता था बीच में से टूट जाता था और फिर मैं उसको नजरअंदाज करके एक तरफ फेंक दिया करता था धीरे-धीरे फिर वह बड़ा हो जाता है मैं वही करता हूं मैं थका गया पर वो ना थका और फिर मैंने उसकी तरफ ध्यान देना छोड़ दिया मैं 1 दिन उदास था फिर मैं उस पौधे के पास आया और उसके पास आकर बैठ गया उससे बात करने की कोशिश की पर वह बोला नहीं शायद नाराज था फिर भी जब मैंने उसको स्पर्श किया तो अंदर ही अंदर वो मुझे खुश लग रहा था मैंने उसको धीरे-धीरे सहलाया और आसपास की जमीन को मैंने खोदना शुरू कर दिया और उसके चारों तरफ एक हल्की सी जैसे हम अपने लिए जगह बनाते हैं बैठने के लिए इस तरह हर रोज में उसकी सेवा करने लग गया और जैसे-जैसे वह पौधा बड़ा होता गया वैसे वैसे मेरी परेशानियां खत्म होती गई और एक वक्त ऐसा आया वह पौधा मेरे घर के लिए वरदान बन गया ! मेरा घर उस खुशहाल बना और 

मैंने उसको पूजना शुरू कर दिया!

#सुशील #ग़ाफ़िल