आज भी मुझे याद है जब वक़्त ने अपना सिक्का खुद ही फैंका कितनो को तो फर्क ही न पढ़ा हो पर मैंने उनकी आंखों से आंसुओं को टपकते हुए देखा जो फरियाद कर रहे थे उन बादलो से की इस सूखी ज़मीन को भिगोदे अपनी पहली बारिश से ।।।। तपती धूप होनेे के बावजूद भी वो खेतो में हल चला रहे थे सूखे से कहीं आकाल न पढ़ जाए वो अपना पेट काटकर दुनिया को अनाज पहुचा रहे थे ऐसे में कैसे उस बेइमान मौसम को कोई समझाये की ये बादल अपनी पहली बारिश से उनकी सुनहरी मिट्टी को भिगो जाए ।।।।। इस आसमान से इतनी सी गुज़ारिश है बस इससे ज्यादा उनका इम्तेहां न ले अपनी पहली बारिश से उनके सूखे सपनो को गीला करदे ।।।।।।। #YQDidi #पहलीबारिश