बुलबुले बुलबुले °°°°°° लांघते गए दहलीज जब, तब सही मौक़े नहीं थे, वक्त की फ़ेहरिस्त में जाने कब से घर लौटे नहीं थे! लफ्ज़ जादुई से; इल्म, इल्तजा, फिक्र नहीं थे, एक झलक भी उम्र भर के सुकून से कम नहीं थे,