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Last night थी रात्रि अँधेरी -अँधेरी,

Last night  थी रात्रि अँधेरी -अँधेरी,                                                आँखों में नींद थी घेरी |                                               तब दस्तक हुई दरवाजे पर,                                    सुन बिजली गिरी कलेजे पर |                                       डर के मारे मैं सिमट गई,                                           आँखों से नींद भी उचट गई |                                   मुँह से निकली एक चीख अचानक,                         था टूट गया वह स्वप्न भयानक |                              ज़ब आँख खुली था कोसो दूर अंधेरा,                       था सूर्य 'शून्य 'झाँक रहा,और आया नया सवेरा  || #last night #दस्तक
Last night  थी रात्रि अँधेरी -अँधेरी,                                                आँखों में नींद थी घेरी |                                               तब दस्तक हुई दरवाजे पर,                                    सुन बिजली गिरी कलेजे पर |                                       डर के मारे मैं सिमट गई,                                           आँखों से नींद भी उचट गई |                                   मुँह से निकली एक चीख अचानक,                         था टूट गया वह स्वप्न भयानक |                              ज़ब आँख खुली था कोसो दूर अंधेरा,                       था सूर्य 'शून्य 'झाँक रहा,और आया नया सवेरा  || #last night #दस्तक