यूं आंखों का पानी कौन समझेगा, यूं बात मेरी नादानी कौन समझेगा, बीते पल यादगार तो बन चुके हैं, पर साथ याद करने की रवानी कौन होगा।— % & यूं आंखों का पानी कौन समझेगा, यूं बात मेरी नादानी कौन समझेगा, बीते पल यादगार तो बन चुके हैं, पर साथ याद करने को रवानी कौन होगा। OPEN FOR COLLAB✨ #ATleavemealone • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️