आँख में आँसू, चेहरे पे हँसी,दिल में ग़म,लफ़्ज़ में दर्द, फिर भी न जाने कैसे मैं जिंदा हूँ। बेवफाई की सुनामी में टूटे कस्ती कों आसमां की भी पहुँच से दूर ले जाकर जोड़ने वाला परिंदा हूँ। लाख कोशिशों के बाद भी जुड़ न सकी वो धड़कनों की दरारे... तब से ही मैं अपने ख्वाहिशों के आशियाने के अधूरा होने से शर्मिंदा हूँ। ©Sagar Raj Gupta #_Sagar_Creation #_My_Shayari_is_my_life_ #_Sagar_the_king_of_words_ #_Sagar_the_Shayar_ #_दिल_के_करीब_ #Sagar_Sir_Bettiah #Sagar_the_king_of_words