मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा अब इसके बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा !! ये एक मेला है वादा किसी से क्या लेगा ढलेगा दिन , तो हर इक अपना रास्ता लेगा !! मैं बुझ गया , तो हमेशा को बुझ ही जाउंगा कोई चराग़ नहीं हूं कि फिर जला लेगा !! कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए जो बेअमल है , वह बदला किसी से क्या लेगा !! मैं उसका हो नहीं सकता , बता न देना उसे लकीरें हाथ की अपनी वह सब जला लेगा !! हज़ार तोड़ के आ जाऊं उससे रिश्ता मैं जानता हूं वह जब चाहेगा , बुला लेगा !!