निमाड़ी ग़ज़ल फागुन को मयनो आयो रंग गुलाल लायो जऽ ढोली चौपाल मऽ लावणी की चाल लायो जऽ दाजी नऽ नऽ छेड़यो राग होलई का गीत नखो दाजी नऽ का लेण दारू ऊ कलाल लायो जऽ रंग बिरंगी देखाय जऽ दीवाल नऽ घर नऽ खी होलई को तिवार गांव मऽ तो धमाल लायो जऽ गरीबी मऽ कीचड़ की होलई खोब खेली हम नऽ पण रंग गुलाल बड़ो भाई इना साल लायो जऽ दुःख दर्द कऽ भुली नऽ सबई रंग लगाई रया जऽ तिवार गांव गांव एकता की मिसाल लायो जऽ मांदल की थाप पऽ पांय उठऽग सबका होलई पऽ एका सी भाई पेण कऽ क्वार्टर लाल लायो जऽ पोरया नऽ नऽ रंगणऽ का लेण बणाई टोलई नऽ पवन सबका लेण असो रंग गुलाल लायो जऽ धनसिंह सेन पवन जलकोटा #NojotoQuote अपनी बोली में निमाड़ी ग़ज़ल