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अग्नि की तप, सर्दी की बर्फ या हूं मै सख्त चट्टान स

अग्नि की तप, सर्दी की बर्फ
या हूं मै सख्त चट्टान सी,
चंदन से लिपटे सर्प जैसी, ठहरें पानी सी शांत सी ।

महकता सा इत्र, खोया सा मित्र
या हूं मै चांदनी चांद की,
हिरनी सी तेज, बाणों सी भेद
फूलो की भेंट या चाशनी !!!

काली का रोष, सुबहा की ओस
या हूं मै बहती रेत सी,
झरने के बहते पानी जैसी, ऊफान दिल में संजोए सी!!

सागर में मिलती नदियों जैसी  या 
गांव की खोई गलियों जैसी
कटती पतंग के डोर जैसी, या हूं मैं जलते अंगार सी।

तुम सी हूं मै ,  तुम सबके जैसी
शरारती से बच्चे जैसी।। 
तुम सी हूं मै, तुम सबके जैसी 
कहानियों के किस्से जैसी ।

~written by: 
Kirti Goel #Pehlealfaaz #kirtikishayari
अग्नि की तप, सर्दी की बर्फ
या हूं मै सख्त चट्टान सी,
चंदन से लिपटे सर्प जैसी, ठहरें पानी सी शांत सी ।

महकता सा इत्र, खोया सा मित्र
या हूं मै चांदनी चांद की,
हिरनी सी तेज, बाणों सी भेद
फूलो की भेंट या चाशनी !!!

काली का रोष, सुबहा की ओस
या हूं मै बहती रेत सी,
झरने के बहते पानी जैसी, ऊफान दिल में संजोए सी!!

सागर में मिलती नदियों जैसी  या 
गांव की खोई गलियों जैसी
कटती पतंग के डोर जैसी, या हूं मैं जलते अंगार सी।

तुम सी हूं मै ,  तुम सबके जैसी
शरारती से बच्चे जैसी।। 
तुम सी हूं मै, तुम सबके जैसी 
कहानियों के किस्से जैसी ।

~written by: 
Kirti Goel #Pehlealfaaz #kirtikishayari
kirtigoel9524

Kirti Goel

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