इबादत को भी जुर्म बताते हो जनाब, उस परवरद़़िगार से रूठे हो क्या? ये बेफि़जूल की हँसी आख़िर तुम्हें कब से भाने लगी? सच सच बताना अंदर ही अंदर टूटे हो क्या? -- रीना"मंजुलाहृदय" .... ©Reena Sharma "मंजुलाहृदय" #Smile #nojotowriter #manjulahriday