परेशान बाट जोह रहा हूँ कब से उसके आने की, इक प्यारे से मुखड़े और उसके अफसाने की, उसके केशों को सहलाने और रूठने मनाने की, बाट जोह रहा हूँ कब से ......... यूँ तो रोज होता है मिलन उससे, हैं अनगिनत खुशनुमा किस्से, पर आज बात कुछ और ही है जताने की, बाट जोह रहा हूँ कब से ............ उसका आना,नज़रे चुराना, बात-बात पे यूँ इठलाना, आँचल की ओट में छिपकर लजाने की, बाट जोह रहा हूँ कब से .................. #romantic poems