होता हुं जब मै तनहा,तुम्है मै मेहसुस करता हुं, लिखके तेरे लिये सायरीया,उसे मै पढते रेहता हुं, कुछ और तो होता नही है रास्ता पास मेरे तो एसे ही सायरी मे मैं तुजसे मिलते रेहता हुं।