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कोई इश्तियाक़ बाक़ी न रही उनके दीदार-ए हुस्न के बा

कोई इश्तियाक़ बाक़ी न रही उनके दीदार-ए हुस्न के बाद
महख़ानो में जाना ज़रूरी हो गया उनके जाने के बाद
उनके अब्सार सा नशा कहां आब-ए-तल्ख़ में था
पर अब और कोई ज़रिया ही क्या था उनके जाने के बाद। #मन_की_तरंग_से
कोई इश्तियाक़ बाक़ी न रही उनके दीदार-ए हुस्न के बाद
महख़ानो में जाना ज़रूरी हो गया उनके जाने के बाद
उनके अब्सार सा नशा कहां आब-ए-तल्ख़ में था
पर अब और कोई ज़रिया ही क्या था उनके जाने के बाद। #मन_की_तरंग_से
nitin1718153609229

Nitin

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