میں ٹھہرتا گیا رفتہ رفتہ اور یہ دل اپنی روانی میں رہا ابرار احمد آج کی مشق کے لیے لفظ ہے، رفتہ رفتہ۔ मैं ठहरता गया रफ़्ता रफ़्ता और ये दिल अपनी रवानी में रहा अबरार अहमद दोस्तो आदाब। मश्क़ के लिए आज का लफ़्ज़ है रफ़्ता-रफ़्ता