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हुनर है तरसती , राह क्यों है झांकती, लड़कियां हैं

हुनर है तरसती ,
राह क्यों है झांकती,
लड़कियां हैं लड़कियां ,
कहकर यह क्यों बांटती !!

समाज समाज कहता है,
समाज मैं और तुम हो और कौन ,,
कभी ये मेरे आड़े आएगा, 
कभी ये तेरे आगे आएगा !!

उसे भी थोड़ा  हक़ दो भाई,
उसे भी चाहिए आज़ादी,
कैद होने किसी घर ,चौखट
चारदीवारी में नही आई !!

मैं प्रकृति तुम प्रकृति
हम प्रकृति की बीज वो,
सिर्फ भोग की वस्तु नही घर में
हमें सुबह से सींचे जो !!

मैजिक जो आज कहता है,
कान खोल सुन तू भी मान ले,
कद्र कर वो श्रेष्टा है,
या बांध अपना सामान ले !!

हुनर है तरसती ,
राह क्यों है झांकती,,
लड़कियां हैं लड़कियां ,
कहकर यह क्यों बांटती !! ©2018MagicVoice 
हुनर है तरसती ,
राह क्यों है झांकती,
लड़कियां हैं लड़कियां ,
कहकर यह क्यों बांटती !!

समाज समाज कहता है,
समाज मैं और तुम हो और कौन ,,
हुनर है तरसती ,
राह क्यों है झांकती,
लड़कियां हैं लड़कियां ,
कहकर यह क्यों बांटती !!

समाज समाज कहता है,
समाज मैं और तुम हो और कौन ,,
कभी ये मेरे आड़े आएगा, 
कभी ये तेरे आगे आएगा !!

उसे भी थोड़ा  हक़ दो भाई,
उसे भी चाहिए आज़ादी,
कैद होने किसी घर ,चौखट
चारदीवारी में नही आई !!

मैं प्रकृति तुम प्रकृति
हम प्रकृति की बीज वो,
सिर्फ भोग की वस्तु नही घर में
हमें सुबह से सींचे जो !!

मैजिक जो आज कहता है,
कान खोल सुन तू भी मान ले,
कद्र कर वो श्रेष्टा है,
या बांध अपना सामान ले !!

हुनर है तरसती ,
राह क्यों है झांकती,,
लड़कियां हैं लड़कियां ,
कहकर यह क्यों बांटती !! ©2018MagicVoice 
हुनर है तरसती ,
राह क्यों है झांकती,
लड़कियां हैं लड़कियां ,
कहकर यह क्यों बांटती !!

समाज समाज कहता है,
समाज मैं और तुम हो और कौन ,,