'चित विचलित' छंद, छंद मैं द्वंद लिखू, श्वास, श्वास में तथ्य। चित अब विचलित है, न द्वंद माने न ही तथ्य। अश्रु लिखू तो दुःख बढ़े, अब न खुशी लिखू न वैराग्य। चित अब विचलित है, न अश्रु समझे न भाग्य। पल पल में मैं प्रसंग लिखूं, न झूठ समझे न सत्य। चित कुछ विचलित है, न क्रोध समझे न हास्य। All of a sudden I feel like I have stopped writing... No thoughts , no mood to write... One I have written above seems weird... I used to write daily and now after months I have written this :( #विचलित_मन #quoteliners #life #QSstitchonpic1142 #yqbaba #quotestitchers #yqquotestitchers #YourQuoteAndMine Collaborating with Quote Stitchers