दोनों टिक कर ठहरते नहीं मन बंजारा मैं बैरागन हुई। जग से क्या लेना हमको प्रीत हमारी सुहागन हुई।। छू...लूँ...उड़ के नीलगगन मैं आज ख़ुशी ऐसी मनभावन हुई।। ♥️ Challenge-780 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।