कवि नितेश उपाध्याय अतिशीघ्र (नवीन कविता उर्दू हिंदी समावेश) *प्रेम में मेरी बदलती कहानी सुनो गिर के संभला हूँ मेरी रवानी सुनो होश ना ही रहा अब तो मेरा कही तुम भी मेरी उमड़ती जवानी सुनो। * डर था मुझको न होगी मुलाकात का मेरा तुझमे निहित होश इस बात का मैंने चूमा था मस्तक पर तेरे कभी अधरोंपल्लव गवाह मेरे जज्बात का * रोके तेरी भी आँख पिघल जायेगी लगा मुझको भी ये शाम ,ढल जायेगी पोंछ आंसू मेरे फिर यूँ उसने कहा तस्वीर दिल में तेरे मेरी गल जायेगी। * गजब था आना तेरा मेरे दिल में कभी भाग्य तेरा लिखा हस्ते-तिल में कभी मुस्कराना तेरा मेरी तकदीर है उकरी मूरत तेरी दृष्टी शिल में कभी। कवि नितेश उपाध्याय अतिशीघ्र #अतिशीघ्र