वो गुजरी मेरी गली से,तन्हाई में जीने की आशाएँ दे गई है। भुला चुके थे जिन यादों को,फिर उन्हीं यादों की नाशाएँ दे गई है। क्या करू यारो, मुझे तोड़ा जिस खुदगर्ज ने,वही संभलने की दुआएँ दे गई है।। जिन्हें कहा करते थे जानेवफा,गम-ए-महफिल में सजाएँ दे गई है। वो ठहरा जालिम सीतमगर,मोहब्बते जख्म की दवाएँ दे गई है। क्या करू यारो, मुझे तोड़ा जिस खुदगर्ज ने,वही संभलने की दुआएँ दे गई है।। --Xn niku.