इस सुख दुःख की गाड़ी में,श्यामु और लाजवंती संग व्यंग्य भी सवार हुआ, बेचारे का अक्सर सब मज़ाक बनाया करते थे, कभी कोई बुढ़ा सयाना मिलता तो नसीहत दे ही देता था तो श्यामु अपनी प्यारी के बचाव मे कुछ शब्द यूँ कहता था कि "हमें जिम्मेदारियों ने पीना सिखला दिया वर्ना आदमी तो मैं भी काम का था। शराब पीता तब तक शराब की तारीफ़ होती शराब है तो मैं हूँ, तेरे होने से मैं इस जग मे रह रहा हूँ। तू मेरी हमदम मेरी सच्ची साथी तू मेरा दर्द समझे तू मुझे अपना माने। श्यामु कभी नालियों की गहराई नापता,कभी सड़कों को मखमली शैय्या समझ कर दो रात तक सोया रहता। जब उसके बच्चें उसे खोजते उसे लेने जाते तो वह फिर अपनी शराब को गले लगा रोने लगता कहता कि तुम हो तो मेरी बेटियों की शादी का बोझ कम लगता है, रातें हसीन और दिन खूबसूरत लगते हैं, और फिर कहीं घर पहुँचता तो गाय के गोबर मे लथपथ सोया मिलता। जब दिहाड़ी करता तब तो हर रात पीता और जब पैसे ना होते तो लाजवंती से पीट पीट कर लेता., जब एक रोज तंग आकर नशे मे घर लौटा तो लाजो का गुस्सा फूटा, लाजो ने भी श्यामु को खूब पीटा। जब उतर जाती और शराब छुड़ाने की कोई कोशिश करते तो सारे जहां की कसमें खा कर सबको झांसे मे ले लेता. लाजो भी कभी शराब छुड़वाने बस स्टैंड के पीछे कभी किसी देवी के यहाँ अपने शयामु को लिये भटकती रहती। team 24 रंगीला हिंदुस्तान के लिए आज का विषय -नशा नहीं नाश इस सुख दुःख की गाड़ी में,श्यामु और लाजवंती संग व्यंग्य भी सवार हुआ, बेचारे का अक्सर सब मज़ाक बनाया करते थे, कभी कोई बुढ़ा सयाना मिलता तो नसीहत दे ही देता था तो श्यामु अपनी प्यारी के बचाव मे कुछ शब्द यूँ कहता था कि "हमें जिम्मेदारियों ने पीना सिखला दिया वर्ना आदमी तो मैं भी काम का था। शराब पीता तब तक शराब की तारीफ़ होती शराब है तो मैं हूँ, तेरे होने से मैं इस जग मे रह रहा हूँ। तू मेरी हमदम मेरी सच्ची साथी तू मेरा दर्द समझे तू मुझे अपना माने। श्यामु कभी नालियों की गहराई नापता,कभी सड़कों को मखमली शैय्या समझ कर 2 रात तक सोया रहता। जब उसके बच्चें उसे खोजते उसे लेने जाते तो वह फिर अपनी शराब को गले लगा रोने लगता कहता कि तुम हो तो मेरी बेटियों की शादी का बोझ कम लगता है, रातें हसीन और दिन खूबसूरत लगते हैं, और फिर कहीं घर पहुँचता तो गाय के गोबर मे लथपथ सोया मिलता।