समुन्द्र की लहरों को बस इतनी सी बात चुभ गई, एक कागज की कश्ती कैसे मुझ पर चल गई। तूफानी हवाओं को बस इतनी सी बात चुभ गई, पेड़ तलक जब टूट गए तो घास कैसे बच गई। खाली कमरे को बस इतनी सी बात चुभ गई, कैसे एक प्रकाश की लौ पूरा मुझे भर गई। अमीरी को बस इतनी सी बात चुभ गई, एक गरीब मुस्कान कैसे मुझसे लड़ गई। पांच शब्दों कि असफलता को बस इतनी सी बात चुभ गई, कैसे सफलता की कीमत चार शब्दों की होकर भी मुझसे बढ़ गई। pavitra #success #comes with #झक #मार के #inspiration #hardwork