सुनो ना, तेरे प्यार कि सज पाए बैंठे है, ईस भरे महफिल में दिल को छुपाए बैंठे है, मिला कुछ नही ,तेरे प्यार में मुझे गम के सीवा फीर भी ,न जाने क्यूं ,तुछसे ही दिल लगाए बैंठे है!! हा, तेरे खातिर खुद को भुलाए बैंठे हैं, मुसकुराहटे ,भी चेहरे से छुपाए बैंठे है, जिंदगानी तो बस ईतनी सी रह गई है मुझ में की सिमट चुका हूँ खामोशियों में और, तन्हाई से दिल लगाए बैंठे है!! " कुछ दिन पहले तक जो होती थी ,आँखो आँखो से ही बाते, समझ जाते थे वो की हम उनसे क्या छिपाए बैंठे है,, @जा कर कह दो उनसे ऐ हवा अब चाँदनी रातो में सितारो को देखना हमने छोड़ दिया , जबसे उन्होंने मुझसे मुंह मोड़ लिया ! फीर भी कभी मिलते हैं तो कहते हैं, ? आप ईतना उदास क्यूं बैंठे हैं? अरें! हम उनको कैसे बताए ,उनके प्यार में ही तो , दिल और जान गवाए बैंठे है!! क्या करूं ईस नटखट आवारा बेजुबा दिल को फीर भी उनसे कहता हैं! सुनो ना ,, कभी उदास बैठी हो तो बताना ,हम फीर से दिल दे देंगे तुम्हे खेलने के लिए!! सुनो ना, तेरे प्यार कि सज पाए बैंठे है, ईस भरे महफिल में दिल को छुपाए बैंठे है, मिला कुछ नही ,तेरे प्यार में मुझे गम के सीवा फीर भी ,न जाने क्यूं ,तुछसे ही दिल लगाए बैंठे है!! हा, तेरे खातिर खुद को भुलाए बैंठे हैं, मुसकुराहटे ,भी चेहरे से छुपाए बैंठे है,