छूट रहा था साथ ,मैं ख़ामोश कैसे रहता, मैं पलटकर मुस्कुरा दिया,यही अच्छा रहता, सुबह होते ही तुझे जाना है, ये तय रात में होता तो अच्छा रहता.. तेरी गर्म साँसे महसूस होती है,ठंडे बदन पर मैं तुझे छूने न देता तो,अच्छा रहता, इक उदासी मेरे जिस्म से लिपट कर रोती है, मुलाक़ात ही न होती तो,अच्छा रहता... घड़ी की सुई से भी तेज़ धड़कता है दिल मेरा, वो गौर ही न करता तो अच्छा रहता, सुना था हर निशाँ धूल जाता है पानी से, जिस्मों के भी धुलते तो,अच्छा रहता.... फ़ैसला सुना दिया गया हिज़्र में जीने का मशवरा कर लेते तो,अच्छा रहता, तस्वीर बनाता था मैं पानी पर तेरी चाँद में अक्स न ही देखता तो,अच्छा रहता.. वक़्त मिलता है,तो फ़क़त बोल लेते है, बातें होती तो,अच्छा रहता, मुझे जरूरत नही किसी महँगे तोहफ़े की निशानी बोसा देते तो अच्छा रहता... Rajni Bansal याद नही पल में जीएं🖤 #मन_बावरा