क्यों अंगुलियों से समेट रही हो जुल्फों को , वो बिखरती है तो बिखरने दो, इन हवाओं को रोकती क्यों हो तुम्हे छूने से, किसी के यादों में बहकती हो तो बहकने दो। #Freedom #हिंदीशायरी #Hindi #onlinepoetry #onlinestoryteller #onlinestory #onlineshayri