जान से जादा चाहा था उसको खुद से जादा माना था उसको याद आते ह अब वो पल जब हम रहे थे मिलकर आती है अब वो यारो में इन तन्हा बरसाती में ना जाने किस बात की हमने सजा पाई क्यों हमें मिली है ये तन्हाई