चांद की चांदनी भी फिकी लगे मेरी बहना जब हसती हैं । तो हस देता हैं गम भी। और जो रूढ जाए तो बहार लौट जाए कुछ छुपाकर बैठीं हैं कुछ नाराज हैं जो पास थी वो आज दुर हैं इसिलिए राखी हाथों मे लिए पलकों को भिगोकर बैठी हैं और जो रूढ जाए तो बहार लौट जाए कुछ छुपाकर बैठीं हैं कुछ नाराज हैं जो पास थी वो आज दुर हैं इसिलिए राखी हाथों मे लिए पलकों को भिगोकर बैठी हैं. राखी हैं मेरे भैया