देखकर मानव व्यथा, हर तरफ करुण वेदना सुन। मन हो गया खाली सा, न मन में बजती कोई धुन। उस पत्नी की व्यथा लिखूंँ, जिसका पति है भंँवर फंँसा। या मांँ की व्यथा लिखूंँ, किसका बेटा छोड़ चला जहांँ। कि इस विषम परिस्थिति में, मन की कलम को विराम दूंँ । #मानव #व्यथ