#सांझ_के_लिए दुख को ही गले लगा रहे हो हक़ीक़त को नज़रंदाज़ करके, अक्सर हम सब यही करते हैं, जो है उसे नकारते, धिक्कारते हैं, जो नहीं है उसी के पीछे भागते हैं, और जो था...वो भी खो जाता है, तब हम अपने किए पर पछताते हैं,