प्रेम है तुमसे तुम पूछते हो..कितना..? कैसे बताऊँ तुम्हें कि कितना..? 'मात्रा' जानना चाहते हो, 'कैसा' जानना चाहते हो, पर तुम जानते हो कि, 'आकलन' जिसका कर लिया जाये यकीनन कमी है फ़िर कहीं उसमें नहीं लगता मुझे कि कभी समझ पाओगे 'प्रेम' को 'मेरे' भाव जो उठा है मन में तुम्हारे 'नाप-तौल' का कहाँ फिर टिकने देगा दो पलड़ों को समानान्तर बैलेंस कहाँ बनेगा फ़िर तुम में और मुझ में नहीं समझ पाओगे कभी गहराई को,विस्तार को, समाहित है जो प्रेम में मेरे प्रश्न जो उभरे मन में तुम्हारे लगा दिया 'प्रश्नचिह्न' हृदय पर मेरे कैसे व्यक्त करूँ फ़िर, 'प्रेम' को मेरे..! Muनेश...Meरी✍️🌹🌹 #bestyqhindiquotes #yqdidi #yqhindi #yqwriters #yqpoetry #yqpoets #yqlove