आँखों मे बस्ते थे सपने जब, अब तो बस दूसरों के सपनो को तोड़ने की आस है। आँखें झुखाता था इंसान जूठ बोलने पर, अब तो उठाके जीता है शान से।। क्या समय लौटता है आखिर है ये सवाल हज़ारों के मन मे।। नमस्ते। बीते समय की कहानियाँ एक लेखक का ख़ज़ाना होती हैं। निकालिये कोई मोती इस ख़ज़ाने से। #एकसमय #collab #yqdidi