है इश्क का एक रुतबा अब भी मेरे गांव में चुभा न गम का कांटा कभी मेरे पांव में सब छोड़ कर के क्यों बस गए हो शहर में मिलो हमसे ,फिर कभी तारों की छांव में Hai Ishq ka ik rutva ab bhi mere gaon main Chubha na gham ka kaanta kabhi mere paon main Sab shod kar ke kyun bas gye ho shahar main Milo humse, fir kabhi taaron ki chaon main 'फिर कभी' फिर कभी, क्या ज़िन्दगी फिर कभी का कोई मौक़ा देती है। अपने ख़यालात का इज़हार करें। Collab करें YQ Bhaijan के साथ। #phirkabhi #yqbhaijan #yqbaba #yqdidi