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सारी आदतों को छोड़ सकता हूं मैं, जो चाहूं वो कर सक

सारी आदतों को छोड़ सकता हूं मैं,
जो चाहूं वो कर सकता हूं मैं,,
हर किसी से जीत सकता हूं मैं,
ख़ुद से भी लड़ सकता हूं मैं,,
एक तेरी याद हैं जिसे रिहा कर सकता नहीं हूं मैं,
तुझसे लड़ सकता नहीं न ही जीत सकता हूं मै।।
तुझसे एक बार नहीं हज़ारों बार हार सकता हूं मैं,
मैं मर सकता हूं मगर तुझे भूल सकता नहीं हूं मैं।।
तुझे जीते जी भूल पाना असंभव सा लगता है,
हां मरने के बाद मैं वादा कर सकता नही।।
आंखो के आसूं सूख गए लेकिन नमी आज़ भी बरकरार है,
तुझसे बहुत तकरार हुआ फिर भी दिल को तेरा ही इंतेजार है।
मैं एक बार सारी दुनिया से लड़ सकता हूं,
मगर कभी तेरे सामने हथियार मै उठा सकता नहीं हूं।।
मैं ख़ुद को जिस दिन भूल जाऊंगा,
उस दिन भी मैं तुझे याद आऊंगा।

©Amresh Giri
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