स्त्री की अस्मत वस्त्रों को वस्त्र ही रहने दो न शस्त्र बनाओ तुम नज़रे झुकी रहे शालीनता का भाव लाओ तुम न नज़रो की धार बढ़ाओ तुम । अपनी अस्मत का मोल समझो यूं न बीच बाजार नीलम करो नज़रे झुकी रहे शालीनता का भव लाओ तुम न नज़रो की धार बढ़ाओ तुम। सुंदरता तुम्हारी,तुम्हारे वस्त्रों से है न इनको घटाओं तुम नजरे झुकी रहे शालीनता का भाव लाओ तुम। हे स्त्री तुम बेटी हो बहन हो ,बहु हो पत्नी हो एक होकर भी हज़ारो रिश्तो से जुड़ी हो न अपने रिश्तों को शर्मिंदा करो तुम वस्त्रों को वस्त्र ही रहने दो न शस्त्र बनाओ तुम । ओरो के मुख से निकली तीर सी बाते तुम्हें ही नही तुम्हारे स्वाभीमान को भी चीर देंगी लाज़ शर्म को तुम्हारी जिस्मो के बाज़ार में बेंच देंगी आधुनिकता के दौर में न अपनी संस्कृति अपनी वेश भूषा भूल जाओ तुम स्त्री हो स्त्री ही रहो न ओरो के लिए दिखावे की वस्तु बन जाओ तुम। वस्त्र को वस्त्र ही रहने दो न शस्त्र बनाओ तुम । ©Poonam Nishad #Writer_Poonam_Nishad #Nojoto #nojotohindi #nojotopoetry #Poetry #Women #nojotohindiwriters #Hindi #hindipoetry #writercommunity