पसन्द आए या न आए, कोई फर्क नहीं पड़ता, चाहे किसी को भी यहाँ, कोई तर्क नहीं मिलता। खामियाँ खुद की हमें जाननी तो ज़रूर हैं लेकिन, किसी के बताने न बताने से, कोई हर्ज़ नहीं दिखता। साजिशें तुम कर लो चाहे जितनी या न भी करो, दीवानगी इतनी है कि कोई बेड़ा गर्क नहीं करता। कर जाए कोई अग़र तारीफ़ या फिर तनक़ीद, हमें तब भी जताने के लिए कोई हर्फ़ नहीं मिलता। जिम्मेदारियां बहुत है ज़िन्दगी में हमारी लेकिन, हमारी कहानियों में जन्नत का ज़िक्र नहीं मिलता। ज़िक्र उन दिक्कतों का करना भी आखिर आसान कहाँ, जब खुदा की लिखाई में कहीं कोई अर्क नहीं मिलता। क्यों फिर लम्हा दर लम्हा खुद को यूँ जलाते ही जाएँ, तीरगी में भी ज़िन्दगी का कभी कोई अर्थ नहीं मिलता। #खामियाँ #साजिशें #तीरगी #जन्नत #तनक़ीद #ज़िम्मेदारियां #yqhindi #bestyqhindiquotes