#गज़ल #साल2020 ग़म जियादा मिली खुशी थोड़ी, फिर भी उम्मीद भी रही थोड़ी। जितना सोचा नहीं मिला लेकिन, आस मिलने की भी जगी थोड़ी। वक्त मुश्किल जरूर था तो भी, लब पे मुस्कान भी खिली थोड़ी। चाक दामन हुआ ग़मों से जो, मिल के सबने यहां सिली थोड़ी। ©Shailesh Maurya #शैलशायरी #गजल #bye2020