|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8
।।श्री हरिः।।
7 – धर्म-धारक
'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।'
'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन्न स्वर में कहा - 'मेरे क्षेत्र की ओर तो मानव शासक भी ध्यान नहीं दे रहा। पूरा जनपद प्राय: खँडहर हो चुका है और दो-चार दिनों में रुद्र के गण जब वहां अधिकार कर लेंगे, मुझे भटकते घुमना पड़ेगा।'