#ग़ज़ल इस तरह ख़ुदकुशी की है मैंने रात दिन शायरी की है मैंने ... इश्क़ तो कर नहीं सका कभी भी इश्क़ की बंदगी की है मैंने ... हिज्र में कुछ नहीं किया लेकिन बातें तेरी कही की है मैंने ... हो के नाकाम इश्क़ में तेरे खूब आवारगी की है मैंने ... ठीक है मैं क़बूल करता हूँ दूसरा प्यार भी की है मैंने ... बाँट के ख़ुद को दो किनारों में ख़ुद को ही इक नदी की है मैंने ... जब से जाना है रौशनी का सच कमरे में तीरगी की है मैंने ... दिल को बहलाने के लिए अपने कुछ कभी कुछ कभी की है मैंने ... इश्क़ हो तुम सो इश्क़ है तुम से दोस्तों से बस दोस्ती की है मैंने ... नज़्म-ओ-ग़ज़लों के नाम पर "कृष्ण" ज़िक्र बस आपकी की है मैंने ... ©krishna Sharma #alone #darkness #तीरगी #KRISHNASHARMA Jay Karthik Jaimin Roy kriss.writes ashish shukla Tanha Safar