आज पुरानी राहों से फिर मुलाकात हो गई दर बदर भटक रहे थे और वही राह साथ हो गई संग चलते तेरा जिक्र उनसे मैंने कर लिया उन्होने भी मुस्कुराके बस एक साँस भर लिया सोचा हमने शायद मुखातिब वो भी ना हुए होंगे तुमसे सालों से जैसे मिले ना हो तुम हमसे कितने बहारों से फिर अचानक उसने बस एक बात कही तू इतना क्यूँ तड़पता है वो इन राहों में अब आएगी नही मैं बैठा उन राहों को अब भी ताक रहा हूँ तेरे इंतज़ार में, मैं वहीं वक़्त काट रहा हूँ... एक शायर ने कहा है उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे मुझे रोक रोक पूछा तेरा हम सफ़र कहाँ है.. बशीर बद्र हर किसी की ज़िंदगी इन्हीं पुरानी राहों से हो कर गुज़रती है। लिखें इस के बारे में। #पुरानीराहें