उठाया गैरों ने था जनाज़ा मेरे अपनों ने सजाया था? और रो कर सबने मेरी खातिर ज़मानाए दस्तूर बा खूवी निभाया था? ये बोही लोग थे सब जिन्हे मैं जीते जी एक आँख भी ना भाया था? पर कुदरत का खेल देखो साहेब मरने के बाद दीदारे आख़री सबने बारी बारी कफन उठाया था? 🤔🤔🤔 #RaamJaane# shayri. ki. pathshala #Raamjaane#sad Shayri #Nojoto