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सद्व्यवहार कब तक़ शब्द जाल में किसी को उलझाकर रखो

सद्व्यवहार

कब तक़ शब्द जाल में किसी को उलझाकर रखोगे
अपनी हरकतों से लोगों को हरपल ही सताते रहोगे
एक न एक दिन तो झूठ की हांडी फूटनी है आखिर
भेद खुल जायेगी और नज़रों में सबके गिर जाओगे

कल क्या होना ये आखिर किसी को भी नहीं मालूम
वक्त बदल देगा और तुम भी सबकुछ सीख जाओगे
सद्व्यवहार जीवन का मूलमंत्र जब ये जान जाओगे
खुद सुखी रहके तुम औरौं को भी सुखी रख पाओगे

ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कुटिलता गर मन से दूर भगाओगे
व़  प्रेम और अनुराग से हर शख्स को गले लगाओगे
ऊंच-नीच का भेद न अपने मन में कभी भी लाओगे
तो श्रद्धापूर्वक हर शीश खुद के समक्ष झुका पाओगे

राजीव भारती
पटना बिहार गृह नगर

©Rajiv Ranjan Verma #सद्व्यवहार 

#lotus
सद्व्यवहार

कब तक़ शब्द जाल में किसी को उलझाकर रखोगे
अपनी हरकतों से लोगों को हरपल ही सताते रहोगे
एक न एक दिन तो झूठ की हांडी फूटनी है आखिर
भेद खुल जायेगी और नज़रों में सबके गिर जाओगे

कल क्या होना ये आखिर किसी को भी नहीं मालूम
वक्त बदल देगा और तुम भी सबकुछ सीख जाओगे
सद्व्यवहार जीवन का मूलमंत्र जब ये जान जाओगे
खुद सुखी रहके तुम औरौं को भी सुखी रख पाओगे

ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कुटिलता गर मन से दूर भगाओगे
व़  प्रेम और अनुराग से हर शख्स को गले लगाओगे
ऊंच-नीच का भेद न अपने मन में कभी भी लाओगे
तो श्रद्धापूर्वक हर शीश खुद के समक्ष झुका पाओगे

राजीव भारती
पटना बिहार गृह नगर

©Rajiv Ranjan Verma #सद्व्यवहार 

#lotus