बहुत दूर तक जाना है तुम्हे लक्ष के उस पार , जिम्मेदारिया कंधो पर टाँगकर , जूतों की फीते बांधकर । (अनुशीर्षक में पढ़े) ©आराधना बहुत दूर तक चले जाना है तुम्हे लक्ष के उस पार , जिम्मेदारिया कंधो पर टाँगकर ,जूतों की फीते बांधकर। मंज़िल के पथ पर है कही काँटे तो है कही डगर , कभी जीत तो कभी हार फिर भी तु कोशिश कर। साहिल पाने के ख़ातिर हौसला रख मुश्किलों का दरिया तु पार कर , भँवर में फँसा होगा उससे निकल तू किनारा कर।