" तुझको चाहना सिर्फ मेरे इख्तियार में है , अब ये मसैदा तेरे हाथ में हैं ठहरा , सम्भालना हैं ना जाने देना है तुझे मेरे हाथों को , जिक्र की गुंजाइश अभी भी उसके फैसले पे छोड़ा हैं । " --- रबिन्द्र राम— % & " तुझको चाहना सिर्फ मेरे इख्तियार में है , अब ये मसैदा तेरे हाथ में हैं ठहरा , सम्भालना हैं ना जाने देना है तुझे मेरे हाथों को , जिक्र की गुंजाइश अभी भी उसके फैसले पे छोड़ा हैं । " --- रबिन्द्र राम #इख्तियार #मसैदा #सम्भालना