वाह रे मानव तेरी मानवता एक बेजुबा की कर दी निर्मम हत्या।। एक नहीं दो जीवो पर किया तूने वार संपूर्ण मानव जाति को किया शर्मसार।। क्या था कसूर उस मां का जो उसकी ममता का किया तूने खात्मा अरे अब क्या मनुष्यों में नहीं रहता परमात्मा।। शिक्षा से क्या सिर्फ डिग्री पाई है बदले में आत्मा बेच खाई है।। सर पर बैठा है कलयुग बढ़ रहा पाप है विनाश की और अग्रसर अब ये संसार है विश्वास चक्र टूटा है ना रही कोई आस है इंसान से इंसान का तो छोड़ो अब जंतु भी भय से व्याप्त हैं भूल गए तुम की धरती सबकी है ना तुम भगवान हो अरे संभाल जाओ अब तो क्यों बन रहे हैवान हो #क्रूर मानवता"#