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गए साल ने ज़िंदगी को नया आयाम दिया, जो शामिल थे दौड़

गए साल ने ज़िंदगी को नया आयाम दिया,
जो शामिल थे दौड़ में उन्हें भी विराम दिया।
दुनिया के रंगमंच का दृश्य ही बदल दिया,
जीने के अंदाज़ को कठिन से सरल किया।
"घर से काम" और घर के काम सिखाने आया था,
ये साल हमे भूले बिसरे कुछ काम गिनाने आया था।
किसी की रोजी छिन गयी कोई हालात पे रोया,
कोई लड़ा कोविड से ,कुछ ने अपनो को खोया।
मास्क और सैनिटाइजर की आदत भी अपना ली,
हाथ मिलाना छोड़ कर नमस्ते की प्रथा बना ली।
शायद यह साल हमको सबक सिखाने आया था,
"हम ज़िंदा ये उपलब्धि है",याद दिलाने आया था।

©SHAYARI BOOKS गए साल ने ज़िंदगी को नया आयाम दिया,
जो शामिल थे दौड़ में उन्हें भी विराम दिया।
दुनिया के रंगमंच का दृश्य ही बदल दिया,
जीने के अंदाज़ को कठिन से सरल किया।
"घर से काम" और घर के काम सिखाने आया था,
ये साल हमे भूले बिसरे कुछ काम गिनाने आया था।
किसी की रोजी छिन गयी कोई हालात पे रोया,
कोई लड़ा कोविड से ,कुछ ने अपनो को खोया।
गए साल ने ज़िंदगी को नया आयाम दिया,
जो शामिल थे दौड़ में उन्हें भी विराम दिया।
दुनिया के रंगमंच का दृश्य ही बदल दिया,
जीने के अंदाज़ को कठिन से सरल किया।
"घर से काम" और घर के काम सिखाने आया था,
ये साल हमे भूले बिसरे कुछ काम गिनाने आया था।
किसी की रोजी छिन गयी कोई हालात पे रोया,
कोई लड़ा कोविड से ,कुछ ने अपनो को खोया।
मास्क और सैनिटाइजर की आदत भी अपना ली,
हाथ मिलाना छोड़ कर नमस्ते की प्रथा बना ली।
शायद यह साल हमको सबक सिखाने आया था,
"हम ज़िंदा ये उपलब्धि है",याद दिलाने आया था।

©SHAYARI BOOKS गए साल ने ज़िंदगी को नया आयाम दिया,
जो शामिल थे दौड़ में उन्हें भी विराम दिया।
दुनिया के रंगमंच का दृश्य ही बदल दिया,
जीने के अंदाज़ को कठिन से सरल किया।
"घर से काम" और घर के काम सिखाने आया था,
ये साल हमे भूले बिसरे कुछ काम गिनाने आया था।
किसी की रोजी छिन गयी कोई हालात पे रोया,
कोई लड़ा कोविड से ,कुछ ने अपनो को खोया।