साथ इस ग़म के ही जीना होगा दर्द आँखों से ही पीना होगा जख़्म जितने भी दिये कुदरत को आज हम सब को ही सीना होगा सोचकर ही नमीं है आँखों में इस वबा नें जो भी छीना होगा रौनकें ज़िंदगी में आयेंगी कोई ऐसा भी महीना होगा ग़र जो रहमत हो तेरे बंदो पे तो यूँ ही पार सफ़ीना होगा -Dipti #गज़ल #साथ इस #ग़म के ही #जीना होगा #वबा #महामारी मीटर 2122 1122 22 #nojoto #nojotohindi